• शोध के अनुसार 71 प्रतिशत जलभृतों में भूजल में गिरावट दर्ज की गई है, तीन गुना से अधिक स्थानों में तेजी
• भविष्य के लिये बडे खतरे की संभावना
बेतहाशा जल दोहन और तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनिया भर में भूजल का स्तर तेजी के साथ
घट रहा है। एक शोध में यह खुलासा किया है, जो कि आने वाले समय के लिये बेहद घातक सिद्ध हो सकता है।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सांता बारबरा के शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में 1,700 जल निकायों के भूजल स्तर का सबसे बड़ा आकलन किया है। इस अध्ययन से पता चला है कि दुनियाभर में भूजल तेजी से घट रहा है। शोधकर्ताओं की टीम ने दो साल तक केवल आंकड़े जुटाए। इसके बाद शोधकर्ताओं 1,693 जलभृतों में भूजल स्तर के रुझानों का मूल्यांकन करने के लिए 1,200 से अधिक प्रकाशनों का अध्ययन किया। यह
शोधकार्य चार दशकों तक चला और इसमें 40 देशों के एक लाख 70 हजार से अधिक कुओं का डाटा शामिल था । जलभूत धरातल की सतह के नीचे चट्टानों का एक ऐसा स्तर है, जहां भूजल एकत्रित होता है। यह बरसात का पानी मिट्टी के माध्यम से रिसता है और जलभृत में प्रवेश करता है। यहां से यह धीरे-धीरे आगे बढ़ता है और झरनों-कुओं के माध्यम से फिर से सतह पर आ जाता है ।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि 71 प्रतिशत जलभृतों में भूजल में गिरावट आ रही है। यह कमी कई स्थानों पर तेज हो रही है 1980 और 90 के दशक के मुकाबले भूजल में गिरावट की दर 2000 से वर्तमान तक तेज हो गई है। तेजी से गिरावट लगभग तीन गुना अधिक स्थानों पर हो रही है। शोधकर्ताओं के अनुसार भूजल स्तर गिरने से जमीन की भीतरी परत सिकुड़ रही है, जिससे जमीन के धंसने का खतरा भी बढ़ रहा है। हाल ही में कई देशों में ऐसी घटनाएं भी हुई हैं। शोध में यह भी सामने आया है कि कुछ ऐसे स्थान भी मिले हैं, जहां जल स्तर स्थिर है या सुधार आ गया है।
90 के दशक में आया था सुधार
अध्ययन के अनुसार 90 के दशक में भूजल में गिरावट वाले 16 फीसदी जलभृत प्रणालियों में जल स्तर ठीक हो गया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो सहस्राब्दी की शुरुआत के बाद से लगभग 30% जलभृतों के जल में तेजी से कमी देखी गई है। जबकि कुछ जलभृतों ने स्थानीय संरक्षण प्रयासों और जल निकासी को सीमित करने वाली नीतियों के कारण सुधार दिखा। अध्ययन से पता चलता है कि अन्य स्रोतों से पानी को मोड़कर जलभृतों को फिर से भरा जा सकता है।