पहाड़ पर आबादी को रोकने के साथ ही जंगली जानवरों को भगाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अब बबूने के फूल (कैमोमाइल) का उपयोग करेंगे। वैज्ञानिकों का दावा है। कि इस फूल की महक जंगली जानवरों को आबादी में आने से रोकेगी। इससे पहाड़ के बंजर खेतों में हरियाली लौटेगी और पलायन भी रुकेगा। यह प्रयोग लोहाघाट के गांव से शुरू होगा।
लोहाघाट कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक जंगली जानवरों को आबादी की ओर आने से रोकने के लिए दीर्घकालिक योजना पर काम कर रहे हैं। वैज्ञानिक डॉ. सचिन पंत ने बताया कि बबूने का फूल विशेष प्रकार की सुगंध देता है। ये महक इंसानों को तो भाती है लेकिन जानवर इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते। ये सब फ्लेवेनाइडस नाम के एक पदार्थ के कारण होता है।
डॉ. पंत ने बताया कि पहाड़ में किसान जंगली जानवरों से परेशान हैं। इससे निपटने के लिए लगातार प्रयोग किए जा रहे हैं। बीज बम भी इनमें एक है। बीज बम जिसमें मिट्टी और एक चौथाई गोबर को गूंथकर बॉल के आकार का बनाकर उसमें फल और सब्जियों के बीज भरे जाते हैं। फिर इन्हें धूप में सुखाया जाता है। इन बीज मों को जंगलों में डाला जाएगा।
बबूने के फूल जंगली जानवरों को भगाने में कारगर होंगे। हमने इस पर प्रयोग शुरू कर दिया है। सुखद परिणाम मिलने पर हम इस फूल के बीज काश्तकारों में बांटेंगे। इससे पलायन रुकेगा । – डॉ. सचिन पंत प्रभारी, कृषि विज्ञान केंद्र, लोहाघाट
‘बेशक जंगली जानवर किसानों की खेती को नुकसान पहुंचा रहे हैं। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में खेती आर्थिकी का एकमात्र जरिया है। वैज्ञानिक तमाम तकनीकें अपना रहे हैं, जिनके परिणामों को धरातल पर आने में समय लगेगा । – डॉ. एनसी जोशी, प्रभारी यूकॉस्ट, अल्मोड़ा।