रेडियो दिवस : आज अनेक चुनौतियां लेकिन कभी था सूचना, शिक्षा और मनोरंजन का सबसे विश्वसनीय माध्यम है। 1945 में 13 फरवरी को यूनाइटेड नेशंस से पहली बार रेडियो प्रसारण हुआ था। इसकी याद में यूनेस्को महासभा ने 2011 में इस तिथि को विश्व रेडियो दिवस घोषित कर दिया । इसे 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंजूरी दी। सन 2012 : से विश्व भर के प्रसारक और श्रोता 13 फरवरी को रेडियो दिवस मनाते हैं।
इस वर्ष विश्व रेडियो दिवस की थीम ‘रेडियो- सूचना, शिक्षा और मनोरंजन की एक सदी’ है। टेलीविजन, मोबाइल और इंटरनेट के इस युग में रेडियो के सामने अनेक चुनौतियां हैं लेकिन कभी रेडियो का स्वर्ण युग रहा है। पीढ़ियों को सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के लिए रेडियो कभी एक मात्र सहज सुलभ और भरोसेमंद माध्यम था । पिछली सदी के सात दशक तक आकाशवाणी ही उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, पं. किशन महाराज, पं. रविशंकर, उस्ताद बड़े गुलाम अली खान, बेगम अख्तर जैसे अनगिनत कलाकारों को सुने जाने का माध्यम था। आकाशवाणी की पहुंच देश के 92 प्रतिशत भूभाग और 99 प्रतिशत आबादी तक है। आज इंटरनेट और मोबाइल के युग में एफएम आपके हर सफर में हमसफर है।
ऑल इंडिया रेडियो की नींव वायसराय लार्ड इरविन ने 23 जुलाई 1927 को भारत में पहले रेडियो केंद्र की तत्कालीन बम्बई में शुरुआत की थी। बाद में उसे ऑल इंडिया रेडियो और आकाशवाणी नाम दिया गया। (वृत्तसंस्था)