Morning walk is full of health प्रत्येक व्यक्ति ताउम्र स्वस्थ और निरोगी रहना चाहता है लेकिन कितने लोगों की यह मनोकामना पूर्ण हो है ? दरअसल हम समय रहते अपनी सेहत का ख्याल नहीं रखते। यहां तक कि दो कदम पैदल चलना भी नहीं चाहते। लोग तभी सुबह की सैर करने निकलते हैं जब डॉक्टर उन्हें पर्ची पर लिखकर देता है। काश, यदि व्यक्ति शुरू से ही सुबह की सैर करता रहे तो उसे डॉक्टर के पास जाने की जरूरत ही न पड़ हो पड़े। वैसे तो आप चाहे जब पैदल घूम सकते हैं लेकिन सुबह की सैर सेहतभरी होती है, क्योंकि इस समय प्रदूषण नहीं होता और वायुमंडल में शुद्ध हवा मिलती है। इस समय ऑक्सीजन भी ज्यादा मिलती है सुबह सूर्योदय के पूर्व या सूर्योदय के समय घूमना सर्वाधिक लाभदायक है।
समय की कमी का वहाना
बहुत से लोगों का कहना है कि उनकी जिंदगी इतनी व्यस्त है कि वे चाहकर भी सुबह की सैर नहीं कर सकते। यह उनका एक बहाना तो हो सकता है, मजबूरी नहीं, क्योंकि जहां चाह वहां राह। यदि व्यक्ति एक घंटा जल्दी उठने की सैर वह लाभ उठा सकता है। जब बाद डॉक्टर सैर अनिवार्य कर देता है तब भी तो आप घूमेंगे। तो किसी हादसे का इंतजार क्यों करें, गृहिणियों भी अपनी दिनचर्या सुबह की सैर से ही करनी चाहिए। घर और दफ्तर का काम बाद में, पहले अपनी सेहत की चिंता करें।
फायदे सुबह की सैर के
सुबह की सैर एक ऐसा हल्का व्यायाम है जिसे हर उम्र के व्यक्ति कर सकते हैं। प्रातः काल घूमने से आनंद की अनुभूति होती है जिससे व्यक्ति का मन प्रफुलित हो जाता है तथा उसमें ऊर्जा एवं उत्साह का संचार होता है जो उसे दिनभर चुस्त दुरुस्त बनाए रखता है।
पैदल घूमना सौ रोगों की दवा है और अनेक रोगों से बचने का उपाय भी मोटापे के शिकार लोग यदि नियमित रूप से सुबह की सैर करें तो उनकी चर्बी घट सकती है। मोटापे से निजात पाने के लिए डाइटिंग या अन्य उपाय आजमाने की तुलना में पैदल घूमना निरापद है।
नियमित रूप से पैदल चलाना हृदय रोग से बचाता है और यदि किसी को हृदय रोग है, तो यह उसमें लाभ पहुंचाता है। इससे हृदय की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और अधिक अच्छे से काम करता है। मधुमेह के रोगियों के लिए तो सुबह की सैर
करना किसी रामवाण दवा से नहीं है। इससे उनकी ऊर्जा खर्च होती है। इससे उनकी ब्लड शुगर सही बनी रहती है। पाचन संस्थान यदि सही काम न करे तो अनेक उदर रोग पैदा होते हैं हैं नियमित रूप से सुबह की सैर करने से पेट संबंधी रोगों से निजात मिलती है। भोजन का पाचन सही होता है, क्योंकि आंतों की क्रियाशीलता बढ़ती है। इससे कब्ज भी दूर होती हैं परिणामस्वरूप कब्ज जनित एसिडिटी आफरा, गैस आदि की शिकायत दूर हो जाती है।
सुबह की सैर करने से शरीर सक्रिय होता है तथा रक्त संचार तेज होता है जिससे शरीर की कोशिकाएं पुष्ट होकर सही ढंग से कार्य करती हैं। पसीने एवं मूत्र के जरिए शरीर विकार से बाहर निकल जाते हैं। शरीर की मांसपेशियों को पुष्ट बनाने के लिए सुबह की ह की सैर बहुत जरूरी है। इससे ढीली मांसपेशियां पुष्ट होती है। यही नहीं मांसपेशियों में अकड़न जैसी बिमारियां भी होती है जिन लोगों के हाथ, पैर के जोड़ दुखते हो उनके लिए तो पैदल चलना बहुत जरूरी है। इससे शरीर के जोड़ खुलते हैं, उनमें लचीलापन आता है और उनकी सक्रियता बढ़ जाती है।
सैर के साथी
सुबह की सैर आप अकेले भी कर सकते हैं और किसी के साथ भी । यदि पति-पत्नी दोनों साथ सैर करते हैं तो दोनों को ही इसका लाभ मिलता है। आप समूह में भी सैर कर सकते हैं पर वह चार या छह से अधिक बड़ा न हो तथा उसमें शामिल सदस्यों की घूमने की गति समान हो तो अच्छा है सैर करते समय कम से कम बातचीत करना चाहिए। कितनी सैर करें ? व्यक्ति को प्रतिदिन कितनी सैर करना चाहिए, यह उसकी इच्छा सुविधा और सामर्थ्य पर निर्भर करता है। लेकिन कम से कम दो किलोमीटर का लक्ष्य तो होना ही चाहिए। यह दूरी पांच किलोमीटर तक बढ़ा सकते हैं।
सैर के दौरान दम फूलने लगे, सीने में दर्द का एहसास हो तो रुक जाएं तथा डॉक्टर से अपना चेकअप कराएं।
कैसे चलें ?
सुबह की सैर करते समय यह बात बहुत महत्त्वपूर्ण है कि कोई कैसे चले चलते समय शरीर को सीधा रखें। सीना तानकर, कंधे पीछे और गर्दन सीधी रखकर चलें। आपकी नजर सामने की ओर रखें। यदि झुककर वृद्धावस्था या शारीरिक अशक्तता के कारण छड़ी लेकर चलना मजबूरी हो तो वैसा कर सकते हैं। लेकिन यदि शौकिया तौर पर हाथ में छड़ी या डंडा लेकर चलते हैं तो चाल सही नहीं रह पाती है। महिलाओं को चाहिए कि यदि वो पहनकर सुबह की सैर करना चाहती है तो साड़ी को पिनअप कर लें ताकि साड़ी संभालते हुए चलने की नौबत नहीं आए। जो पुरुष धोती पहनते हैं, उन्हें भी एक हाथ से धौती पकड़ कर साड़ी नहीं चलना चाहिए। इसी प्रकार जेब में हाथ डालकर या हाथों को आगे या पीछे बांधकर भी नहीं चलना चाहिए। चलते समय सांस लंबी व गहरी लें तो अधिक लाभ मिलता है।
कैसी हो गति ?
प्रातः घूमने का लाभ तभी है जबकि आप तेज गति से चलें ताकि फेफड़ों को अधिक ऑक्सीजन मिले। ।। तेज चलने का मतलब दौड़ लगाना नहीं है। न ही चींटी की चाल से चलें कि दो घंटे में एक किलोमीटर भी धूम नहीं पाएं। इतना तेज भी न चलें कि दम फुलने लगे, अन्यथा लाभ की बजाय हानि ही अधिक होगी।
पोशाक का चयन
सुबह की सैर करते समय मौसम के अनुरूप पोशाक का चयन करना चाहिए। सर्दियों में गर्म कपड़े पहने तथा गर्मियों में कॉटन के जो भी पोशाक आप पहनें. वह अत्यधिक चुस्त होने की बजाय थोड़ी ढीली हो ताकि चलने में परेशानी न हो। जो पहने वह घूमने के लिए सुविधाजनक हो। साथ ही सुबह घूमते वक्त जेवर आदि न पहनने में ही बुद्धिमानी है। अगर आप रोज सुबह सैर पर जाते हैं तो सही डिजाइन के जूते पहने जो आरामदेह हो । गलत जूते पहनकर घूमने या दौड़ने से आस्टो आर्थराइटिस की शिकायत हो सकती है।
मार्ग का चयन
सुबह की सैर करने के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बात मार्ग का चयन करने की है। ऐसा मार्ग चुने, जहां वायु एवं ध्वनि प्रदूषण न हो। जहां वाहनों की आवाजाही ज्यादा हो, कारखानों की चिमनियां धुआं उगलती हो, ऐसे स्थान सुबह की सैर के लिए उपयुक्त नहीं है। जिस मार्ग पर हरियाली हो, दोनों और घने वृक्ष हों, वह अधिक उपयुक्त है। सुव की के लिए वही मार्ग चुनें, जो चढ़ाई वाला न हो यानी समतल हो र में दम फूलने लगेगा। भरा न हो न हो बारिश वजह से फिसलन हो। मुख्य सड़कों पर घूमते समय चौकन्ने रहें कि पीछे से कोई वाहन टक्कर र न मार दे। अन्यथा थौड़ी ही देर मार्ग कीचड़ की महिलाओं को सुनसान रास्तों पर सुबह की सैर के लिए नहीं जाना चाहिए। अलसुबह अंधेरा भी रहता है और उनके साथ कोई हादसा भी हो सकता है।