डब्ल्यूएचओ का अध्ययन वाहनों की रफ्तार में पांच प्रतिशत की कमी से सड़क हादसों में 30 प्रतिशत मौतें कम हो सकती हैं
नई दिल्ली परिवहन विभाग और द ब्लूमबर्ग फिलँथ्रोपीज इनिशिएटिव फार ग्लोबल रोड सेफ्टी की एक कार्यशाला के दौरान सोमवार को डब्ल्यूएचओ का एक अध्ययन साझा किया गया, जिससे पता चला कि शहरी स्थानों में गति सीमा 50 किमी प्रति घंटे या उससे कम होनी चाहिए। जहां पैदल चलने वालों की संख्या अधिक है, जिसमें स्कूल, बाजार या आवासीय क्षेत्र शामिल हैं, वहां पर गति 30 किमी प्रति घंटे या उससे कम होनी चाहिए। इससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। कार्यशाला में सामने आया कि राजधानी की सड़कों पर सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण ओवर स्पीडिंग है।
इंडिया हैबीटेट सेंटर में आयोजित कार्यशाला में गति और दुर्घटना जोखिम संबंध पर ध्यान देते हुए अध्ययन में बताया गया कि 60 किमी प्रति घंटे की गति वाले क्षेत्र में हताहत होने का जोखिम दोगुना हो जाता है। 65 किमी प्रति घंटे पर चार, 70 किमी प्रति घंटे पर 10 और 75 किमी प्रति घंटे पर जोखिम 32 गुना बढ़ जाता है। ग्लोबल रोड सेफ्टी पार्टनरशिप में सड़क सुरक्षा परियोजनाओं के एशिया प्रबंधक ब्रेट हरमन ने कहा कि दिल्ली सहित अन्य शहरों में यह देखा गया है। इसके अलावा शहरी इलाकों में गति में वृद्धि की तुलना में दुर्घटना के जोखिम अधिक अनुपात में बढ़ता है। दिल्ली में हर साल सड़क हादसे में होने वाली मौतों में 51% से अधिक मौत ओवर स्पीड के कारण होती हैं। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सड़कों पर वाहनों की रफ्तार को पांच प्रतिशत भी कम कर दिया जाएं, तो सड़क हादसों में मौत की संख्या को 130 प्रतिशत कम किया जा सकता है। कार्यशाला में डब्ल्यूएचओ के डा. बी. मोहम्मद ने कहा कि ओवर स्पीडिंग सड़क हादसों में हो रही मौतों का एक बड़ा कारण है। ( वृत्तसंस्था)