दुनिया के कई देशों में इनकम टैक्स नहीं लगता है। लेकिन भारत उन देशों में है जहां टैक्स की दरें काफी ऊंची हैं। बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने एक बार कहा था कि जीवन में दो चीजें निश्चित हैं, मौत और इनकम टैक्स। दरअसल साल 2013 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आरोप लगाया था कि अमिताभ ने केबीसी से हुई इनकम का सही ब्यौरा नहीं दिया और 1.66 करोड़ रुपये कम इनकम टैक्स चुकाया। मामला कोर्ट में पहुंचा और अदालत के नोटिस पर अमिताभ इनकम टैक्स चुकाने को तैयार हुए। इसी संदर्भ में उन्होंने यह बात कही थी। इनकम टैक्स का दर्द क्या होता है यह सैलरीड लोगों से बेहतर कौन जानता है। उनकी सैलरी में से ही टैक्स काट लिया जाता है। पहले भारत में इनकम टैक्स की व्यवस्था नहीं थी। यहां हम आपको बता रहे हैं। कि भारत में इनकम टैक्स की शुरुआत किसने की थी।
भारत में पहले इनकम टैक्स जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी । पहली बार अंग्रेजों के जमाने में साल 1860 में ही इनकम टैक्स एक्ट आया था। भारत में बजट की शुरुआत करने वाले जेम्स विलसन ने भारत का पहला बजट तैयार किया। इसमें वह इनकम टैक्स एक्ट लेकर आए थे। इस तरह उन्होंने अंग्रेजों को भारत में वित्तीय शासन का एक अहम औजार दे दिया था। यह कानून कारोबारियों के साथ-साथ जमींदारों को भी रास नहीं आया। इसका खूब विरोध हुआ। लेकिन विलसन ने तब इसके पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि ब्रिटिश भारतीयों को व्यापार करने के लिए सुरक्षित माहौल मुहैया कराते हैं और इसके बदले इनकम टैक्स के रूप में एक शुल्क चार्ज लगाना सही कदम है। देश में इनकम टैक्स और बजट के साथ पेपर करेंसी (रुपये) की व्यवस्था भी विलसन ने ही शुरू की थी। साल 1857 में भारत में सैन्य क्रांति हुई थी। इसमें हुए नुकसान की भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार इनकम टैक्स एक्ट लेकर आई थी। तब इनकम को चार हिस्सों में बांटा गया था। प्रॉपर्टी से हुई इनकम, प्रोफेशन और ट्रेड से इनकम, सिक्योरिटीज से इनकम और सैलरी तथा पेंशन से इनकम। हर कैटगरी में 500 रुपये से कम इनकम पर दो फीसदी और 500 रुपये से अधिक इनकम पर चार फीसदी टैक्स का प्रावधान था। यानी 500 रुपये तक की इनकम पर 10 रुपये और इससे अधिक इनकम पर 20 रुपये टैक्स देना पड़ता था।
विलसन का जन्म 1805 में स्कॉटलैंड के शहर हाविक में हुआ था। बचपन में अपना गुजारा करने के लिए वह टोपियां बनाने का काम करते थे। लेकिन साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। काफी साल तक उन्होंने फाइनेंस और इकनॉमिक्स का बेहद गहराई से अध्ययन किया। इसके बाद वह भारत में वायसराय लॉर्ड कैनिंग की काउंसिल में फाइनेंस के मेंबर बने। वह यूके ट्रेजरी के फाइनेंस सेक्रेटरी और बोर्ड ऑफ ट्रेड के वाइस प्रेजिडेंट होने के अलावा ब्रिटिश पार्लियामेंट के सदस्य भी थे। विलसन ने ही स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की स्थापना की थी। साथ ही वह मशहूर मैगजीन ‘द इकॉनमिस्ट’ के फाउंडर भी थे। विलसन 28 नवंबर, 1859 को भारत आए थे। तब अंग्रेज 1857 के सैन्य विद्रोह को दबा चुके थे।