ब्यूरो आफ एनर्जी एफिसिएंसी (बीईई) द्वारा किए गए अध्ययन से निकला निष्कर्ष
• 50 किमी चलने पर ही ईवी और डीजल चालित कारों की संचालन लागत एक जैसी होगी
Electric vehicle अगर आप प्रतिदिन 12 किलोमीटर से ज्यादा स्कूटर या 50 किलोमीटर से ज्यादा कार चलाते हैं, तभी इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का फायदा है। इससे कम चलाने पर सामान्य पेट्रोल या डीजल वाहनों की संचालन लागत ईवी के मुकाबले कम होती है ब्यूरो आफ एनर्जी एफिसिएंसी (बीईई) की तरफ से जारी “इंडिया ईवी डाइजेस्ट-2023” के मुताबिक दोपहिया वाहन के मामले में अगर आप प्रतिदिन 50 किलोमीटर का सफर करते हैं तो इलेक्ट्रिक वाहन सामान्य पेट्रोल से चलने वाले दोपहिया वाहनों के मुकाबले 50 प्रतिशत तक सस्ता होगा। 50 किमी प्रतिदिन चलने पर एक ईवी स्कूटर की लागत 1.77 रुपये प्रति किलोमीटर बैठती है जबकि पेट्रोल स्कूटर की लागत 3.45 रुपये प्रति किलोमीटर रहती है। संचालन लागत में गाड़ी की कीमत भी जोड़ी जाती है।
इसी तरह से अगर चार पहिया वाहनों की बात करें तो 50 किलोमीटर चलने पर ही ईवी और डीजल चालित कारों की संचालन लागत एक जैसी होगी। 50 किलोमीटर से कम रोजाना चलाने पर डीजल की संचालन लागत ही किफायती है। इस अध्ययन के मुताबिक 50 किमी चलाने पर डीजल और ईवी की संचालन लागत 12 रुपये प्रति किमी होती है जबकि सीएनजी कारों का संचालन लागत सिर्फ 10 रुपये प्रति किमी ही होगा।
सीएनजी से तुलना की जाए तो रोजाना 90 किमी चलने पर ही ईवी इसके मुकाबले सस्ता पड़ेगा। 90. किमी पर ईवी और सीएनजी की संचालन लागत सात रुपये प्रति किमी रहने की बात कही गई है।
20 किमी प्रतिदिन चलने पर डीजल और सीएनजी से सस्ता होगा ई- तिपहिया वाहन
इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों की बात करें तो 20 किमी चलने पर इलेक्ट्रिक वाहन डीजल और सीएनजी के मुकाबले सस्ता होता है। इसके बाद जितना ज्यादा इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन को चलाया जाएगा, वह अन्य वाहनों के मुकाबले सस्ता ही पड़ेगा। अगर रोजाना 90 किलोमीटर का मानक लिया जाए तो डीजल चालित तिपहिया वाहन की लागत 6.2 रुपये प्रति किमी. सीएनजी की 4.2 रुपये प्रति किमी और ईवी की 2.7 रुपये होगी। संचालन लागत निकालने के लिए बीईई ने वाहनों की लागत, बीमा लागत, ईंधन की लागत, मेटिनेंस लागत, बैट्री बदलने की लागत को आधार बनाया है।
अभी कुल वाहन बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी महज एक प्रतिशत
बीईई की तरफ से पहली बार देश में ईवी को लेकर राज्यों से लेकर केंद्र के स्तर पर जारी नीतियों का तुलनात्मक अध्ययन पेश किया गया है। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2022 से वर्ष 2030 के बीच भारत में बिजली से चलने वाले वाहनों का बाजार 40 प्रतिशत सालाना की रफ्तार से आगे बढ़ सकता है। अभी देश में जितने वाहनों की बिक्री होती है, उनमें ईवी की हिस्सेदारी महज एक प्रतिशत है लेकिन केंद्र सरकार ने इसे वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य के मुताबिक तब तक देश में 90 लाख इलेक्ट्रिक वाहन हो जाएंगे और इसकी वजह से भारत में 2.8 करोड़ टन कम कार्बन उत्सर्जन होगा। हालांकि इसके लिए देश में 4.44 लाख सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन चाहिए। अभी इस तरह के चार्जिंग स्टेशन सिर्फ 10 हजार हैं।