- नॉटिकल मील से समुद्री दूरी मापी जाती है। एक नॉटिकल मील (6080) फुट या 1.15 के बराबर होता है। जलपोतों की गति नॉट में मापी जाती है । कोई पोत अगर (5) नॉट की गति से चल रहा है तो उसका मतलब 1 घंटे में (5) नॉटिकल मील की दूरी तय करता है।
- एटलस पर्वत श्रृखंला अफ्रीका के उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है और मोरक्को, अलजीरिया और टुयुनिशिया सहित राक आफजिब्राल्टर तक फैली हुई है। इसकी लम्बाई 2400 कि. मी. है।
- अत्यधिक चमक के साथ विस्फोटित होने वाले सितारों को सुपरनोवा कहा जाता है। जब इसकी केन्द्रीय उर्जा या इन्धन समाप्त हो जाती है तो अस्थिरता के कारण इसमें विस्फोट होते हैं। नैन्युला विस्फोटित सितारों के धुलकण तथा गैस अवशेष से बने अतिविशाल धुल के कण होते हैं।
- सितारे गैसों और धुल के बादलों में बनते है जैसे सूर्य बना था। बहुत दूर अंतरिक्ष में गैसों और धुल के विशाल बादल है जिसे नेबुला कहा जाता है कुछ नेबुला चमकदार होते है और रोशनी के साथ चमकते हैं।
- धरती का सबसे करीबी तारा सूर्य है । यह धरती से 15 करोड़ 20 लाख कि.मी. दूर है और इसका व्यास हमारी पृथ्वी के व्यास से 12000 गुणा बड़ा है।
- हमारा सूर्य लगभग 1 लाख सितारों में से एक है जो आकाश गंगा कहलाते है । आकाश गंगा के उस ओर सबसे दूर तारे 80000 प्रकाश वर्ष दूर है। बताया जाता है कि लाखों अन्य आकाश गंगाएं इससे भी दूर हैं जिनमें प्रत्येक में लाखों तारे हैं।
- सुपरनोवा एक ऐसा सितारा है जो अचानक भड़क उठता है और कई लाख गुना चमकीला होता है। यह इतना चमकीला हो जाता है कि इसे दिन में भी देखा जा सकता है परन्तु, यह तुरंत ही मन्द पड़ जाता है सुपरनोवा एक दुर्लभ द्रष्टा होता है क्योंकि, यह धमाका है जो एक बड़े सितारे के अन्त का सूचक होता है ।
- रात्रि में सितारों द्वारा बनाई गई आकृति कभी नहीं बदलती। इन आकृतियों को तारामंडल कहते हैं।
- नई खोज – सौर मंडल के सबसे दूर ग्रह प्लूटो के दो और चाँद का पता चला है। फिलहाल इन दोनों उपग्रहों को एस 2005 पी1 तथा एक 2005 पी 2 नाम दिया गया है। इसे नासा का टेलिस्कोप ने देखा है ।
- जहर सोखने वाला पौधा- चीन के वैज्ञानिकों ने इन दिनों जहर सोखनेवाले पौधे का खोज किया है। इससे पर्यावरण को फायदा होगा। ये पौधे पर्यावरण से आर्सेनिक, कॉपर, और जिंक सहित अन्य रासायनिक धातुओं के घातक तत्वों को सोखने में सक्षम होगें । वैज्ञानिकों का दावा है कि इन पौधों से पर्यावरण संतुलन में फायदा होगा, साथ ही धरती की उर्वराशक्ति बढ़ेगी।