वैश्विक नदियों के एक तिहाई उप-बेसिन क्षेत्र के वर्ष 2050 में नाइट्रोजन प्रदूषण के कारण स्वच्छ जल की भारी कमी का सामना करने का अनुमान है। एक नये शोध में यह जानकारी सामने आई है। शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने वैश्विक नदियों के 10 हजार से ज्यादा उप बेसिन के विश्लेषण में पाया गया कि खतरनाक तरीके से बढ़े नाइट्रोजन प्रदूषण ने न सिर्फ पानी की कमी वाले नदियों के बेसिन की संख्या को बढ़ाया है बल्कि पानी की गुणवत्ता को भी प्रभावित किया है। सभी को स्वच्छ जल की आपूर्ति संयुक्त राष्ट्र के 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में से एक है। उन्होंने अनुमान लगाया कि नाइट्रोजन प्रदूषण से दक्षिण चीन, मध्य यूरोप, उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका में कई उप बेसिन पानी की भारी कमी का केंद्र बन सकते हैं। नीदरलैंड की वैगनिंगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की अगुवाई वाली टीम ने नाइट्रोजन प्रदूषण के लिए शहरीकरण और कृषि को जिम्मेदार ठहराया है। उनके निष्कर्ष ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। नदी सबबेसिन एक प्रकार की छोटी-छोटी घाटियां होती हैं, जो पीने के पानी का एक बड़ा स्रोत होती हैं चूंकि यहां बड़े पैमाने पर शहरी आबादी और आर्थिक गतिविधियां होती हैं, इसलिए इन जलमार्गों के प्रदूषित होने का खतरा रहता है। इन सबमेसिन को प्रदूषित करने में सीवर का योगदान बहुत ज्यादा होता है। नाइट्रोजन पौधों और जानवरों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, इसकी उच्च मात्रा पारिस्थितिक तंत्र को बिगाड़ने और स्वच्छ पानी की कमी का कारण बन सकती है। शोधकर्ताओं के आकलन के अनुसार, वर्ष 2010 में इन सबबेसिनों में से एक-चौथाई (2,517) को
स्वच्छ पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा था, जिनमें से 88 प्रतिशत सबबेसिनों के खत्म होने की वजह ‘नाइट्रोजन प्रदूषण’ थी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘पानी की कमी वाले ये मुख्य सबबेसिन मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी हिस्सों, यूरोप, उत्तरी अफ्रीका के कुछ हिस्सों, मध्य पूर्व, मध्य एशिया, भारत, चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में पाये गये थे।’ शोधकर्ताओं ने बताया कि ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2050 में 10 हजार सबबेसिनों में से एक-तिहाई (3,061) सबबेसिन पानी की मात्रा और गुणवत्ता की कमी के खतरे का शिकार हो सकते हैं, जिससे तीन अरब लोगों के लिए जलसंकट उभर सकता है। उन्होंने बताया कि इन सबबेसिनों में या तो पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं होगा या फिर प्रदूषित पानी होगा। नाइट्रोजन पौधों और जानवरों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, इसकी उच्च मात्रा पारिस्थितिक तंत्र को बिगाड़ने और स्वच्छ पानी की कमी का कारण बन सकती है। शोधकर्ताओं के आकलन के अनुसार, वर्ष 2010 में इन सबबेसिनों में से एक-चौथाई (2,517) को स्वच्छ पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा था।